उत्साह को अपने मन में सदा बनाए रखें। यह ईश्वर की अमूल्य देन है।
जब जीवन में किन्हीं कार्यों में आपको सफलता मिलती है, तब कुछ लोग आपका सम्मान करते हैं, धन देते हैं, सेवा करते हैं, तो इससे आपका उत्साह बढ़ जाता है, और आप पूरे उत्साह के साथ और आगे अच्छे-अच्छे कार्य करते हैं।
परंतु कभी-कभी जीवन में हानियां असफलताएं दुख भी आ जाते हैं। कुछ लोग कभी-कभी जानबूझकर आपको परेशान करते हैं। आपके साथ अन्याय करते हैं, व्यर्थ ही झूठे आरोप लगाकर आप को बदनाम करते हैं। ऐसी परिस्थितियों में स्वाभाविक है कि आपका उत्साह कम हो जाएगा।
फिर भी ऐसी स्थिति आने पर भी, माता पिता की सहायता से, समाज के बुद्धिमान लोगों की सहायता से, जो आपकी योग्यता को समझते हैं ऐसे लोगों की सहायता से, विद्वानों के मार्गदर्शन से, तथा ईश्वर की उपासना भक्ति से आप फिर से अपने उत्साह को बढ़ा सकते हैं। और उत्साह को बढ़ाकर फिर नए सिरे से आप अगली योजनाओं को सफल बनाने में पुरुषार्थी हो सकते हैं।
इसलिए आपत्तियों में दुखों में हानि की स्थितियों में घबराएँ नहीं। ईश्वर का दिया हुआ यह अमूल्य गुण उत्साह आपको सब ऊंची नीची परिस्थितियों से पार ले जाएगा। इस उत्तम गुण उत्साह को कभी न खोएँ। इसे बनाए रखें और लक्ष्य की ओर बढ़ते जाएँ।